क्या मनुष्य भाग्य या ईश्वर के हाथ की कठपुतली है? या फ्रीडम ऑफ बिल भी है?
क्या मनुष्य भाग्य का गुलाम है, बेबस है, ईश्वर के हाथ की कठपुतली है? या उसके हाथों में अपना भाग्य है, फ्रीडम का विल है?
भगवत गीता में ईश्वर इन विषयों में क्या कहते हैं, यह जानिए।
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